टिहरी: वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी में ‘भारत में कृषि-पारिस्थितिकी-पर्यटनः अवसर, चुनौतियां और आगे की राह’ विषय पर 14वें विचार मंथन सत्र शुरू हो गया है. जिसे इंडियन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एसोसिएशन (आईएयूए) की ओर से आयोजित किया गया है.
सम्मेलन में देशभर के 10 से ज्यादा राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ खासकर एग्रो इको टूरिज्म को लेकर चर्चा करेंगे. सम्मेलन से निकलने वाले निष्कर्ष को भविष्य में इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा. खासकर सम्मेलन के तकनीकी सत्र पर देशभर के कृषि विशेषज्ञों समेत सरकार की भी नजर रहेगी. वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी में आयोजित इस कार्यक्रम का राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया.
पैदल सैनिक दिवस पर शहीदों को किया याद: इसके साथ ही पैदल सैनिक दिवस पर शहीद सैनिकों को किया याद कर उनके तस्वीरों पर भी माल्यार्पण किया. बता दें कि भारत में हर साल 27 अक्टूबर को पैदल सैनिक दिवस मनाया जाता है. आज के दिन 27 अक्टूबर 1947 को 1st बटालियन द सिख रेजीमेंट ने पैदल ही श्रीनगर एयरफील्ड पहुंचकर जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और आक्रमणकारी ताकतों का रोका था.
इसे हिन्दुस्तानी सेना में इन्फैंट्री यानी पैदल सैनिकों (Infantry) की बहुमूल्य भूमिका, बलिदान और साहस के सम्मान के लिए मनाया जाता है. क्योंकि, इन्फैंट्री को युद्ध की रानी (Queen of the Battle) कहा जाता है. यह दिन याद दिलाता है कि स्वतंत्र भारत की सेना ने न सिर्फ सीमाएं सुरक्षित की, बल्कि पहले संगठित आक्रमणों को जवाब दिया. इन्फैंट्री सैनिक अक्सर कठोर परिस्थितियों में पैदल होकर प्रत्यक्ष मुकाबले में शामिल होते हैं.
महिलाओं के हाथों तैयार उत्पाद की जानकारी लेते राज्यपाल गुरमीत सिंह (फोटो सोर्स- Information Department)
उन्होंने कहा कि कृषि और उद्यान में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं. साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में कृषि सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. भारत को तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था और ट्रिलियन डिजिट के लिए कृषि बड़ा माध्यम बनेगी. राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि उत्तराखंड की आत्मा 9 पर्वतीय जिलों में बसती है. होम स्टे से आगे बढ़कर अब विलेज और फार्म स्टे की ओर जाना होगा.

वानिकी विश्वविद्यालय में चिंतन शिविर (फोटो सोर्स- Information Department)
उत्तराखंड के घोस्ट विलेज को बनाया जाए होस्ट विलेज: राज्यपाल गुरमीत सिंह ने पीएम मोदी से अनुरोध किया कि उत्तराखंड के घोस्ट विलेज में ‘जी’ शब्द हटाकर ‘एच’ जोड़कर होस्ट किया जाए. जिससे यहां खुशहाली आएगी. इन गांवों में सड़क, बिजली, पानी और कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने नाग टिब्बा के गोट विलेज की खुलकर सराहना की. उन्होंने कहा कि कृषि, संस्कृति और प्रकृति के लिए यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा.
टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि जल रहेगा, तभी कृषि और अन्न होगा. सम्मेलन में जल प्रबंधन पर वैज्ञानिक चर्चा करें और एक मसौदा सरकार को दें. हिमालय और गंगा को बचाने की जरूरत है. वहीं, प्रतापनगर विधायक विक्रम नेगी ने पलायन पर चिंता जताते हुए खेती-किसानी में वैज्ञानिक अनुसंधान पर जोर दिया. उन्होंने प्रतापनगर में माली ट्रेनिंग सेंटर और जखिंडा में विवि के परिसर के लिए धनराशि स्वीकृति पर आभार जताया.
