वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जनसहभागिता पर ज़ोर
देहरादून: उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) द्वारा “टोंस नदी के पुनर्जीवन” हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का उद्देश्य वृक्षारोपण, वैज्ञानिक गतिविधियों और जनसहभागिता के माध्यम से नदी के पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए कार्ययोजना को अंतिम रूप देना था।
बैठक की शुरुआत यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डॉ. डी.पी. उनियाल के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने इस पहल को एक सामाजिक ज़िम्मेदारी करार देते हुए कहा कि सभी हितधारकों की भूमिकाएं स्पष्ट हों, ताकि समन्वित प्रयास किए जा सकें। यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने इस पहल को “माँ धारा नमन” का नाम देते हुए टोंस और सोंग जैसी नदियों के भावनात्मक एवं पारिस्थितिक महत्व पर प्रकाश डाला।

वृक्षारोपण, निगरानी समिति और डिजिटल प्लेटफॉर्म की योजना
यूकॉस्ट के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. अशुतोष मिश्रा ने टोंस नदी की वर्तमान स्थिति व पुनर्जीवन योजना पर प्रस्तुति दी। प्रथम चरण में वृक्षारोपण हेतु पाँच स्थान चिन्हित किए गए। उत्तरांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. धर्म बुद्धि ने पौधों की देखभाल व संसाधन सहयोग का प्रस्ताव दिया।
पद्मश्री श्री कल्याण सिंह रावत ने निगरानी समिति गठन का सुझाव देते हुए वृक्षों की सुरक्षा पर ज़ोर दिया। विचार-विमर्श सत्र में HESCO, IIRS, फॉरेस्ट विभाग, डॉल्फिन इंस्टिट्यूट, माया देवी यूनिवर्सिटी, तुलाज इंस्टिट्यूट समेत कई संस्थानों ने सक्रिय भागीदारी का आश्वासन दिया।
पद्म भूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के वीडियो संदेश में पौधों के वैज्ञानिक चयन और दीर्घकालिक प्रबंधन की आवश्यकता बताई गई। बैठक के समापन पर प्रो. पंत ने डिजिटल प्लेटफॉर्म निर्माण, संस्थागत भागीदारी, प्रमाणपत्र वितरण और छात्र समूहों की सहभागिता को अभियान की आगामी दिशा बताया।