Sunday, July 6, 2025
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पौड़ी जिला पंचायत में 75 लाख का सफाई घोटाला

घोटाला- टेंडर की रकम उपनल कर्मचारी की पत्नी के खाते में जमा

आरटीआई से हुआ बड़ा खुलासा

निलंबन और विजिलेंस जांच की उठी मांग

पौड़ी: जिला पंचायत में सफाई कार्यों के नाम पर 75 लाख रुपये के घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह घोटाला सूचना का अधिकार (RTI) के जरिए उजागर हुआ। जांच में पता चला कि जिले के 15 विकासखंडों में गोपनीय रूप से सफाई टेंडर स्वीकृत किए गए और पूरी धनराशि एक उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम) के सफाई कर्मचारी की पत्नी के बैंक खाते में जमा कर दी गई।

आरटीआई से हुआ खुलासा
स्थानीय निवासी और आरटीआई कार्यकर्ता करन रावत ने जून 2025 के पहले सप्ताह में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। जवाब में खुलासा हुआ कि सफाई के लिए जारी किए गए टेंडरों की पूरी रकम उपनल कर्मचारी की पत्नी के खाते में डाल दी गई।

करन रावत ने तत्काल गढ़वाल आयुक्त को शिकायत की। इसके बाद गढ़वाल आयुक्त ने पत्रावलियां जिलाधिकारी पौड़ी को जांच के लिए भेज दीं।

जिलाधिकारी ने शुरू की जांच
पौड़ी की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा कि उन्हें गढ़वाल आयुक्त से पत्रावली मिली है। मामले की जांच की जा रही है और रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कैसे रची गई पूरी साजिश?

जानकारी के मुताबिक, जनवरी से सितंबर 2023 के बीच जिले के सभी 15 विकासखंडों में सफाई के नाम पर गोपनीय रूप से टेंडर जारी किए गए। आरोप है कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी (जो अब निलंबित हैं) ने उपनल कर्मचारी की पत्नी को नौकरी देने के बहाने उसका बैंक खाता लिया और उसी के नाम पर सफाई का ठेका पास करवा दिया।

जांच में यह भी सामने आया कि उपनल कर्मचारी के तीन और पारिवारिक सदस्यों के नाम पर भी ठेके पास कर दिए गए। इन लोगों के पास न कोई वैध पंजीकरण था, न जीएसटी नंबर, और न ही ठेकेदारी का कोई अनुभव।

भुगतान का तरीका भी सवालों के घेरे में

जिला पंचायत द्वारा प्रत्येक विकासखंड में दो-दो सफाई कर्मचारी तैनात किए गए, जिन्हें 15-15 हजार रुपये प्रतिमाह दिए गए। इसके अलावा 10 कर्मचारी वीआईपी ड्यूटी और दुर्गम क्षेत्रों में लगाए गए, जिन्हें 1,000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया गया।

पत्रावलियों में हेराफेरी और दबाव
आरोप है कि घोटाले पर पर्दा डालने के लिए पत्रावलियों में भी छेड़छाड़ की गई। इसी वजह से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का निलंबन किया गया। वित्तीय वर्ष 2024–25 की ऑडिट रिपोर्ट में भी यह गड़बड़ी उजागर हुई कि सफाई के नाम पर 75 लाख रुपये एक ही खाते में जमा किए गए।

विजिलेंस जांच की मांग
उपनल कर्मचारी का कहना है कि उसे इस टेंडर प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं दी गई और वह अब तक कई बार देहरादून स्थित विजिलेंस दफ्तर के चक्कर काट चुका है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस जांच की मांग की जा रही है।

करन रावत बोले — “शुरुआत में ही शक हुआ”

आरटीआई कार्यकर्ता करन रावत ने बताया कि जब सफाई व्यवस्था की गुणवत्ता पर सवाल उठे तो उन्होंने आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी। जवाब में पता चला कि ठेका जिन लोगों को दिया गया, उनके पास कोई अनुभव या वैध दस्तावेज नहीं थे।

जिले में मचा हड़कंप
इस खुलासे के बाद जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों में भी आक्रोश है और मांग की जा रही है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

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